Re: डार्क सेंट की पाठशाला
शीशे का अनोखा चमत्कार
किसी जंगल में एक बंदर रहता था। वह बहुत समझदार व चतुर था। एक बार वह जंगल घूमने निकला। उसे जंगल में एक थैला मिला। थेले में कंघा और एक शीशा था। उसने कंघा उठाया और उसे उलट-पलटकर देखने लगा। उसे कुछ समझ नहीं आया, तो उसने कंघा फैंक दिया। फिर उसने शीशा उठाया। उसे भी उलट-पलटकर देखने लगा। शीशे में अपना चेहरा देख कर उसे समझ आ गया की जो भी उसके सामने आएगा, इसमें दिखाई देगा। उसने सोचा कि इसका मैं क्या करूं? उसने वह शीशा वापस थैले में रख लिया और चल पड़ा। अब उसकी चाल कुछ बदली हुई थी। रास्ते में उसे भालू मिला। वह बोला, अरे ओ बंदर, इतना अकड़कर क्यों चल रहा है? भालू की बात सुन बंदर बोला, मैं तो ऐसे ही चलूंगा। तू क्या कर लेगा मेरा? तेरे जैसों को तो मैं अपने थैले में रखता हूं। उसी समय शेर वहां आ गया। शेर ने पूछा, तुम दोनों क्यों लड़ रहे हो? भालू ने कहा, महाराज यह बंदर अकड़ रहा है। शेर ने बंदर पूछा, अरे ओ बंदर। क्या यह सच है? बंदर ने शेर से भी अकड़ते हुए कहा, क्यों न अकडूं । मैं सबसे ताकतवर हूं। बंदर की बात सुन शेर को गुस्सा आ गया और बोला, भाग यहां से। एक पंजा मार दिया तो यहीं मर जाएगा । बंदर ने कहा तू मुझे क्या मारेगा? तेरे जैसे को तो में अपने थैले में रखता हूं। बंदर की निडरता देख शेर बोला, अच्छा मैं भी तो देखूं। निकाल मेरे जैसा शेर अपने थैले में से। बंदर ने थैला खोला, शीशा निकाला और शेर के मुंह के सामने कर दिया। शेर ने उसमें अपना चेहरा देखा और समझा कि इसमें कोई दूसरा शेर है। यह देख कर वह डर गया और उसने सोचा, यह बंदर सचमुच बड़ा ताकतवर है। इससे लड़ना ठीक नहीं। शेर ने बंदर से हाथ जोड़ते हुए कहा, भाई साहब, आपसे मेरा क्या झगड़ा? आप जो चाहें करें। शेर की बात सुन भालू भी डर गया। अब तो बंदर निडर होकर मजे से जंगल में रहने लगा।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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