11-04-2013, 11:03 PM
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#42
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Re: इधर-उधर से
लीजिये कुछ शे’र आपकी सेवा में प्रस्तुत हैं:
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए.
(शायर: बशीर बद्र)
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फासले से मिला को.
(शायर: बशीर बद्र)
चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहां जाते.
(शायर: ज्ञात नहीं)
ग़मे दुनिया को ग़मे यार में शामिल कर लो
नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें
(शायर: ज्ञात नहीं)
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