14-04-2013, 11:08 PM
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Re: इधर-उधर से
कवि त्रिलोचन के दो सॉनेट
1. प्रगतिशील कवियों की लिस्ट
प्रगतिशील कवियों की नयी लिस्ट निकली है
उसमे कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था.
आँखें फाड़ फाड़ कर देखा, दोष नहीं था
पर आंखों का. सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
शुद्धि-पत्र देखा, उसमे नामों की माला
छोटी न थी. यहाँ भी देखा, कहीं त्रिलोचन
नहीं. तुम्हारा सुन सुन कर सपक्ष आलोचन
कान पक गए थे. मैं ऐसा बैठा ठाला
नहीं, तुम्हारी बकझक सुना करूं पहले से
देख रहा हूँ, किसी जगह उल्लेख नहीं है,
तुम्हीं एक हो, क्या अन्यत्र विवेक नहीं है,
तुम सागर लांघोगे ? – डरते हो चहले से.
बड़े बड़े जो बात कहेंगे – सुनी जायेगी
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जायेगी.
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