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Originally Posted by dark saint
नहीं बन्धु ! मोहतरमा, भ्रमवश गलत लिख गई हैं ! संभवतः उनका आशय वही है, जो मैंने लिखा कि वे देवनागरी में लिखी शायरी समझ लेती हैं, लेकिन अरबी लिपि में लिखी उर्दू उनको समझ नहीं आती ! खैर, आज अवतरित होंगी, तो स्वयं बता देंगी !
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जी ठीक है, अब सच्चाई तो kजी के आने पर ही पता चलेगी.