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Originally Posted by Dark Saint Alaick
आपका कथन मैं समझ नहीं पाया, मोहतरमा ! लिपि आती है, भाषा नहीं ! यह अजीब लगता है ! पर यह भी सच है कि अब तक जितने शख्स नमूदार हुए हैं, वो जुबां से वाकिफ हैं, लिपि (स्क्रिप्ट) से नहीं ! लेकिन जहां तक मैं समझा हूं, आपका आशय शायद यह है कि देवनागरी में लिखी उर्दू आप समझ लेती हैं, लेकिन अरबी लिपि में लिखी नहीं ! सबसे पहले यह समझें कि उर्दू हिन्दी के प्राथमिक स्वरूप की सगी बहन है, कोई विदेशी भाषा नहीं ! उर्दू की पैदाइश मुग़ल काल में ऎसी परिस्थितियों में हुई थी कि जब मुग़ल यहां आए, तो वे फारसी बोलते थे और स्थानीय भाषाएं बोलने वाले हिन्दुस्तानियों से संवाद कायम करने में उन्हें काफी कठिनाई होती थी ! इस वज़ह से सैनिकों के डेरों पर तब बोली जाने वाली खड़ी बोली और फारसी की जुगलबंदी शुरू हुई और इससे एक नई भाषा, बल्कि कहें कि एक नई बोली का जन्म हुआ, जिसे नाम मिला 'रेख्ता' ! इसी बोली रेख्ता ने आगे चल कर उर्दू भाषा का एक रूप धारण किया, जिसने कई रूप बाद में अख्तियार किए !
खैर, शिष्यों की बढ़ी गिनती से मैं खुश हुआ ! इस मसले पर कुछ और कल (शायद अब आज हो चुका है !) प्रस्तुत करूंगा ! किसी शिष्य का कोई प्रश्न हो, तो बेझिझक पूछे, क्योंकि एक अच्छे शिष्य की यही निशानी है ! शब्बा-खैर ! शुक्रिया !
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अलैक जी मेरा आशय ये था कि उर्दू जिस लिपि में लिखी जाती है वो मैं पढ़ सकती हूँ परन्तु साहित्यिक उर्दू जबान समझने में मुझे मुश्किल होती है चाहे वो देवनागरी में लिखी हो या अन्य किसी लिपि में.. हाँ वैसे तो उर्दू व्याकरणीय संरचना इत्यादि में तो हिंदी के समकक्ष ही है और यदि बोल-चाल की भाषा में लिखी हो तो समझने में दिक्कत नहीं होती किसी भी लिपि में. बाकि उर्दू के इतिहास के बारे में मेरी इतनी जानकारी नहीं थी. उसकी जानकारी देने के लिए आपका शुक्रिया
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Originally Posted by Toxic Blood
मुझे लगता है इस विषय में आप थोड़ा संशय की स्थिति में हैं. देखिये उर्दू किसी लिपि का नाम नहीं नहीं है ये एक भाषा है जो अरबी तथा फारसी की मिश्रित लिपि में लिखी जाती है उसी तरह से जैसे हम हिंदी तथा संस्कृत दोनों को देवनागरी लिपि में लिखते हैं. जिस लिपि में उर्दू लिखी जाती है उस लिपि में हिंदी भी लिखी जा सकती है जिस तरह हम sms लिखते समय हिंदी को रोमन लिपि में लिखते हैं. वैसे उर्दू और हिंदी की वाक्य संरचना एक जैसी ही होती है बस अंतर इस बात का है कि हिंदी में संस्कृत के शब्दों की अधिकता है और उर्दू में फारसी तथा अरबी के शब्दों की, इसीलिए आपको उर्दू भाषा सीखने के लिए सिर्फ अपने अरबी-फारसी शब्दकोष को बढ़ाना होगा क्यूंकि उर्दू की वाक्य संरंचना तो हिंदी जैसी ही है जो कदाचित आपको भली भांति समझ आती है.
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आपका कहना सही है की मुझे अपने शब्दकोष को बढ़ाना चाहिए और दरअसल मेरे पास एक उर्दू-हिंदी डिक्शनरी भी है. परन्तु मुझे लगता है डिक्शनरी पढ़ना एक बड़ा ही उबाऊ काम है