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सेना के चिकित्सकों ने 14,000 फुट की ऊंचाई पर की मोतियाबिंद की शल्यक्रिया
नयी दिल्ली ! थलसेना के चिकित्सकों ने नयी उपलब्धि हासिल करते हुए भारत-चीन सीमा के निकट पूर्वी लद्दाख में 14,000 फुट की उंचाई पर मोतियाबिंद की 34 शल्यक्रियाएं की हैं। चिकित्सकों का दावा है कि शून्य से नीचे के तापमान में इस तरह की शल्यक्रिया पहले कभी नहीं की गयी थी।
नयी दिल्ली स्थित आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल में नेत्र रोग विभाग के प्रमुख और सलाहकार चिकित्सक ब्रिगेडियर जे के एस परिहार ने कहा, ‘‘यह एक अनूठी चुनौती थी और नेत्र रोग चिकित्सा के क्षेत्र में इस तरह का प्रयास पहले कभी नहीं हुआ था। हमने पूर्वी लद्दाख में 14,106 फुट की उंचाई पर बिना चीरा लगाये, बिना रक्त बहाये और बिना दर्द के मोतियाबिंद की शल्यक्रिया की।’’
ब्रिगेडियर परिहार के नेतृत्व में चिकित्सकों के एक दल ने फेकोईमल्सीफिकेशन तथा इंट्रा आक्यूलर लेंस तकनीक के इस्तेमाल के जरिये शल्यक्रियाएं कीं। इसमें मोतियाबिंद को छोटे कणों में तोड़ने के लिये अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके बाद इन कणों को हवा के दाब से खींचकर बाहर निकाला जाता है और जरूरत के मुताबिक लेंस स्थापित की जाती है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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