Re: पारख साहब के दिलचस्प किस्से
दरअसल, लड़की ने सोचा कि जो आदमी रस्ते में आते हुए बिना बात के गाड़ीवानों को पीट सकता है, वह मुझसे दब कर क्यों रहेगा. वह मुझसे भी वही व्यवहार करने की क्षमता रखता है. आवेश में आ कर वह क्या कर दे कुछ कहा नहीं जा सकता. इन बातों का लड़की के मन पर गहरा असर हुआ और उसने अपने आपको बदल देने का निश्चय कर लिया. इस प्रकार जीवन की गाड़ी चलने लगी.
कुछ दिन बाद युवक का साला अपनी बहन को लिवाने के लिए आ पहुंचा. यहाँ के ढंग देख कर तो उसकी हैरानी का ठिकाना न रहा. जैसा वह सोच कार आया था, सब कुछ उसका उलट दीख रहा था. किसी तरह की अशांति का नामो निशान तक न था. जब उसने बहन को अपने आने का मकसद बताया तो बहन ने यह बहाना बना कर कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है, भाई को वापिस लौटा दिया.
उसके भाई ने वापिस आ कर सारी बातें घर में बतायीं कि किस प्रकार उसकी बहन अपने पति की आज्ञा का पालन करती है और कहीं कोई अशांति या क्लेश दिखाई नहीं देता तो उसके माता-पिता दोनों सकते में आ गये. माँ तो अपनी बेटी में आये परिवर्तन की बात सुन कर और बाप अपने दामाद की विजय के विचार से हैरान होते रहे. आखिर बाप से रहा न गया. वह चल पड़ा अपने दामाद से मिलने. वह सोचने लगा कि शायद उसे भी कोई फारमूला मिल जाए.
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