24-01-2015, 07:06 AM
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
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Originally Posted by pavitra
आप बिल्कुल सही कह रहे हैं , वास्तव में देखा जाये तो गाने सिर्फ वही जहन में रहते हैं जिनके बोल अर्थपूर्ण हों , गाने की धुन और गाने की uniqueness सिर्फ कुछ ही समय तक गानों को popular बना सकती हैं ।
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मैं आपकी बात से सहमत हूँ, पवित्रा जी. यही कारण है कि पुराने गानों की लोकप्रियता को देखते हुए और लोगों के दिलों तक पहुँचने की उनकी क्षमता के कारण ही आज की फिल्मों तथा विज्ञापनों में भी उनका प्रयोग किया जाता है चाहे कुछ बदलाव के साथ ही हो. आजकल एक विज्ञापन में "ये मेरा दीवानापन है .... " गीत का बदले हुए रूप में अच्छा उपयोग किया गया है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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