Re: नौ साल छोटी पत्नी
तृप्ता कुछ देर अवाक-सी उसकी ओर ताकती रही, फिर बाथरूम में चली गयी। जब वह स्नान करके लौटी तो कुशल तब भी चेहरे पर झाग बना रहा था। तृप्ता को देख कर उसके दिमाग में किसी छायावादी कवि की पंक्तियाँ तैरने लगीं, उन्हें पकड़ने की बजाय वह तृप्ता को चेतावनी देने के लहजे में कहने लगा कि वह भविष्य में उसे शेव बनाने और स्नान करने के लिए कभी न कहे। उसकी इच्छा होगी तो वह खुद स्नान कर लेगा।
इतने में बाहर का दरवाजा खुला और किसी के आने की पदचाप सुनाई दी। तृप्ता ने उचक कर बाहर देखा और बोली, ‘सुब्बी है।’
सुब्बी नीली आँखों वाली स्लिम-सी तृप्ता की हमउमर लड़की है। उसने आँगन में आ कर कुशल को देखा तो जीभ निकाल कर भाग गयी।
'सुब्बी बहुत खराब लड़की है।’ तृप्ता ने कहा।
'लड़कियाँ सभी खराब होती हैं।’कुशल ने कहा। वह जानता था, तृप्ता की नजरों में सुब्बी क्यों खराब है।
कुशल शेव बनाता रहा। तृप्ता कुछ क्षण रुक कर बोली, ‘देखने में कितनी भोली लगती है, पर मुई के पास लड़कों के खत आते हैं।’
आईने में कुशल का चेहरा मुस्कराने लगा, उसने ठुड्डी पर रेजर चलाते हुए कहा, ‘देखने में तो तुम भी बहुत भोली लगती हो।’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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