Re: नौ साल छोटी पत्नी
तृप्ता के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ते देख उसने बात का रुख पलटा, ‘जवान लड़की को लोग ऐसे ही बदनाम कर देते हैं।’
'मैं भला उसकी बदनामी क्यों करूँगी।’ तृप्ता ने बाँह में पहनी चूड़ियाँ अँगुलियों से घुमाते हुए कहा, ‘मैंने खुद देखे हैं उसके पास दर्शन के खत। नास-पीटी उनके जवाब भी लिखती है।’
'तुम क्या खाक कहानियाँ लिखती होगी।’ कुशल के मुँह में साबुन चला गया था, उसने तौलिए से होंठ साफ किए और बोला, ‘खत लिखने में क्या बुराई है? कहानी लेखिका को कुछ तो उदार होना चाहिए।’ कुशल ने अपनी टाँग से ट्रंक को थोड़ा सा सरका दिया और फिर वह ऐसे पैर हिलाने लगा, जैसे ट्रंक संयोग से छू गया हो।
'आप कोई और मकान देखिए।’ तृप्ता ने कहा, ‘चीजें रखने के लिए भी जगह नहीं है। सारी रात ट्रंक मेरी पीठ पर चुभता रहता है।’
'सोने से पहले ट्रंक को खाट के नीचे से निकाल दिया करो।’ कुशल ने कहा।
'आप शेव क्यों नहीं बनाते?’
'शेव तो अब बन ही जायेगी।’ कुशल रेजर को पानी के गिलास में घुमा रहा थ। जब साबुन उतर गया तो उसने कहा, ‘सुब्बी तो अभी बिलकुल मासूम है। मुझे समझ में नहीं आता कि तुम उसके बारे में उलटी-सीधी बातें क्यों सोचती रहती हो।’
'आपको बात का पता नहीं होता और...।’
>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|