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Originally Posted by kuram
भ्राता, अभी प्रण लिया है जब तक कम्पनी पगार नहीं बढ़ाएगी सोने की थाली में खाना नहीं खाउंगा, केसर की क्यारी तो क्या सादे पानी से भी नहीं नहाऊंगा और फ्री की मिली तो भी शराब नहीं छोडूंगा.
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अब मुझे आपकी लम्बी लहराती जुल्फों का राज समझ आ गया भाई ....
देखो मुझे तो घरवाली के डर के मरे गुसलखाने में जाना पड़ता है
अपने हाथ बाल्टी में छाप्छ्पाने होते हैं फिर मग्गे से पानी गुसलखाने में बिखेरना होता है
और फिर अपने गीले हाथ को बदन पर फिरा कर धोये हुए चड्डी बनियान पहन कर बाहर तैयार होकर ऑफिस भाग लेता हूँ
आपको बहुरानी कुछ कहती नहीं..., आप पर भगवान मेहरबान है