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Originally Posted by rajnish manga
ग़ज़ल: मन्त्र फूंका है किसी ने
रजनीश मंगा
मन्त्र फूंका है किसी ने मुझ पे इतने जोर से
मैं जकड़ता जा रहा हूँ जैसे कि चारों और से
दुश्मनी के बाद ग़र हो गुफ़्तगू अच्छा ही है
बात की होगी मगर शुरुआत किसकी ओर से
बेख़बर कितने सही पर बात यह पचती नहीं
डर गया है एक बलशाली किसी कमज़ोर से
शोलाबारी वो करें और हम भी हों अगियार से
तब पेशकदमी कामयाबी पायेगी किस तौर से
मुश्किलों के बीच में न और मुश्किल हो खड़ी
अज़्म ले लो के निकलना चाहिये इस दौर से
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उहापोह की स्थिति को बड़े अच्छे तरीके से आपने प्रस्तुत किया है.... शोलाबारी वो करें और हम भी हों अगियार से तब पेशकदमी कामयाबी पायेगी किस तौर से..
देश की वर्तमान परिस्थिति कुछ ऐसी ही है न भाई। .बहुत बहुत धन्यवाद इस कविता को आपने हम सबसे शेयर किया भाई