Quote:
Originally Posted by rajnish manga
ग़ज़ल: मन्त्र फूंका है किसी ने
रजनीश मंगा
मन्त्र फूंका है किसी ने मुझ पे इतने जोर से
मैं जकड़ता जा रहा हूँ जैसे कि चारों और से
दुश्मनी के बाद ग़र हो गुफ़्तगू अच्छा ही है
बात की होगी मगर शुरुआत किसकी ओर से
बेख़बर कितने सही पर बात यह पचती नहीं
डर गया है एक बलशाली किसी कमज़ोर से
|
वाह! बेहतरीन...... बहुत ही उम्दा लिखा है आपने...... और गजल के इन तीनों शेर ने तो बहुत ही प्रभावित किया......