भारतीय क्रिकेट में स्पिन गेंदबाजी के जादूगर
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Mansur Ali Khan Pataudi & S. Venkataraghavan
टैस्ट क्रिकेट की यदि बात की जाये तो वहाँ न तो तूफानी बल्लेबाजों की लंबी फेहरिस्त इतनी घातक होती है और न ही किसी करिश्माई कप्तान की चतुरायी भरी तिकड़में और न ही उम्दा स्तर का क्षेत्ररक्षण। असल में बल्लेबाजों की फौज के दम पर क्रिकेट के छोटे संस्करणों में जरूर सीमित कामयाबी हासिल की जा सकती है लेकिन क्रिकेट के दीर्घ और 'असली' संस्करण का शहंशाह बनने के लिए धारदार आक्रमण की कमी जरूर लक्ष्य में खलल डाल सकती है। वास्तव में टेस्ट मैचों में दूसरी टीम को दो बार आउट करने का काम किसी बेजान आक्रमण के दम पर अंजाम नहीं दिया जा सकता।
चौकड़ी का स्वर्णिम दौर
वापस मुद्दे पर लौटते हैं। वाकया चालीस बरस पहले का है जब मंसूर अली खान पटौदी की अगुआई में भारतीय टीम ने इंगलैंड का दौरा किया था जहां उसे सभी टेस्ट मैचों में हार का मुंह देखना पड़ा और प्रतिद्वंद्वी टीम खेल के हर विभाग में मेहमान टीम पर इक्कीस ही साबित हुई। सिवाय एक वजह के उस दौरे को भुला देना भी जायज ही ठहराया जाएगा।