Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
आज का भारत वर्ष 1984 के भारत जैसा नहीं है। आज हमें कोई भी फालतू नहीं मानता है। आज पूरा विश्व हमें प्रणय निवेदन करता है। आज हम ही भविष्य हैं। जैसा कि मैंने पूर्व में भी कहा कि राष्ट्रों का निर्माण योजनाओं के आधार पर नहीं किया जाता है। राष्ट्रों का निर्माण तो आशा की नींव पर किया जाता है। मैं यह मानता हूं कि कांग्रेस इस आशा का प्रतीक है और उसमें इस आशा को अंगीकार करने की क्षमता है। मैं अपनी बात यह कह कर समाप्त करना चाहता हूं कि कांग्रेस ही मेरा जीवन है। भारत के लोग मेरा जीवन हैं। मैं भारत के लोगों और कांग्रेस पार्टी के लिए लड़ूंगा। मैं उस प्रत्येक चीज के सहयोग से लड़ूंगा जो मेरे पास है। मैं आप सभी को इस लड़ाई के लिए खड़ा होने और इसे प्रारम्भ करने के लिए आमंत्रित करता हूं। धन्यवाद।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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