17-11-2010, 09:39 PM
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#11
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
Quote:
Originally Posted by Pretatma
न जाने क्यूँ गले से लिपट कर रोने लगा,
जब हम बरसों बाद मिले,
जाते हुए जिसने ने कहा था ....
की "तुम जैसे लाखों मिलेंगे"…!!!
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सोचा है जब भी मैंने, कि धनवान तू बने /
शक दोस्त को खोने का मुझे, बारहा हुआ //
मिलते हैं आज हाथ 'जय', सटते हैं जिस्म भी /
लेकिन दिलों के बीच, बहुत फासला हुआ //
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