Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
द्रौपदी
तो मैंने कहा,और मैं फिर कहता हूं, द्रौपदी नग्न की गई, लेकिन हुई नहीं। नग्न करना बहुत आसान है, उसका हो जाना बहुत और बात है। बीच में अज्ञात विधि आ गई, बीच में अज्ञात कारण आ गए। दुर्योधन ने जो चाहा, वह हुआ नहीं। कर्म का अधिकार था, फल का अधिकार नहीं था।
यह द्रौपदी बहुत अनूठी है। यह पूरा युद्ध हो गया। भीष्म पड़े है शय्या पर—बाणों की शय्या पर—और कृष्ण कहते है पांडवों को कि पूछ लो धर्म का राज, और वह द्रौपदी हंसती है। उसकी हंसी पूरे महाभारत पर छाई है। वह हंसती है कि इनसे पूछते है धर्म का रहस्य, जब में नग्न की जा रही थी, तब ये सिर झुकाए बैठे थे। उसका व्यं*ग गहरा है। वह स्त्री बहुत असाधारण है।
काश, हिंदुस्तान की स्त्रियों ने सीता को आदर्श न बना कर द्रौपदी को आदर्श बनाया होता तो हिंदुस्तान की स्त्री की शान और होती।
लेकिन नही, द्रौपदी खो गई है। उसका कोई पता नहीं है। खो गई। एक तो पाँच पतियों की पत्नी* है। इसलिए मन को पीड़ा होती है। लेकिन एक पति की पत्नी होना भी कितना मुश्किकल है, उसका पता नहीं है। और जो पाँच पतियों को निभा सकती हे, वह साधारण स्त्री नहीं है। असाधारण है, सुपर ह्मन हे। सीता भी अतिमानवीय है लेकिन टू ह्मन के अर्थों में। और द्रौपदी भी अतिमानवीय है, लेकिन सुपर ह्यूमन के अर्थों में।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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