Re: क्या दुनिया खत्म होने का वक्त आ गया है?
जब यह मरता है तो अपने सारे ग्रहों के साथ मरता है. तारा खत्म होने से पहले लाल दानव तारा या श्वेत बामन तारे में बदलता है. इस प्रक्रिया में उसका द्रव्यमान काफी कम होता जाता है जिससे उसकी प्रचंडता और गुरुत्वाकर्षण में बढ़ोत्तरी होती जाती है. इसके प्रभाव से वह अपने ग्रहों को अपनी ओर खींच कर उन्हें जला देता है फिर स्वयं ब्लैक होल में बदल जाता है. ब्लैक होल इस लिये कहा जाता है क्योंकि इसका गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि अपने पास से गुजरने वाले प्रकाश जिसकी गति तीन लाख किलो मीटर प्रति सेकेण्ड होती है उसे भी अपनी ओर खीच लेता है. इस कारण वहां काला धब्बा ही नजर आता है. लेकिन अभी सूर्य को इस अवस्था में आने में अरबों वर्ष लगेंगे. दूसरी ओर कुछ का कहना है 2012 में सूर्य अपने चरम पर होगा और पृथ्वी झुलस जाएगी. हां यह सही है इस दौरान सूर्य अपने चरम पर होगा. लेकिन यह हर 11 वर्ष में होने वाली सतत प्रक्रिया है. जिसे इलेवन इयर साइकिल के नाम से जाना जाता है. इस दौरान सूर्य में सन स्पाट ज्यादा बनते हैं, सौर आंधिया चलती हैं तथा सौर लपटें ज्यादा बडी बनती है. जिससे सौर विकरण काफी तीव्र गति से बनते है. यहां यह स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि सौर लपटें पृथ्वी तक नहीं आ सकती न ही आंधी. हां यहां सौर विकरण का प्रभाव होता है तथा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रभाव जरूर असर करता है. वह भी ध्रुवों पर ज्यादा. लेकिन इसके प्रभाव कृत्रिम उपग्रहों, विमानों, अंतरिक्ष यानों तथा यान से बाहर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ता है.
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