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Old 22-09-2014, 06:33 PM   #22
Pavitra
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Default Re: प्रेम.. और... त्याग...

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Originally Posted by Rajat Vynar View Post
र्चा का थोड़ा बहुत इधर-उधर भटक जाना कोई बहुत बुरी बात नहीं है, सोनी पुष्पा जी. इससे कुछ नई बातें पता चलती हैं. चर्चा जब भटकती है तभी उसमें नया मोड़ आता है. लावण्या जी भी इसके समर्थन में अपने सूत्र ‘गुण और कला’ में कहती हैं कि- ‘रजनीश जी आपने इस चर्चा को एक नया ही मोड़ दिया और मेरी जिज्ञासा भी आपका उत्तर देख कर थोड़ी शांत हुई है।‘ http://myhindiforum.com/showthread.php?t=13756&page=3 जहाँ तक गुण और कला का सवाल है- कुछ भी इंसान माँ के पेट से सीखकर नहीं आता. अफ्रीका में होने के कारण आपने वर्ष 1968 में लोकार्पित फिल्म ‘दो कलियाँ’ का यह गीत जो साहिर लुधियानवी द्वारा लिखा गया है, नहीं सुना होगा. आपके लिए उद्घृत कर रहा हूँ-
बच्चे मन के सच्चे...
सारी जग के आँख के तारे..
ये वो नन्हे फूल हैं जो..
भगवान को लगते प्यारे..

खुद रूठे, खुद मन जाये, फिर हमजोली बन जाये
झगड़ा जिसके साथ करें, अगले ही पल फिर बात करें
इनकी किसी से बैर नहीं, इनके लिये कोई ग़ैर नहीं
इनका भोलापन मिलता है, सबको बाँह पसारे
बच्चे मन के सच्चे...

इन्सान जब तक बच्चा है, तब तक समझ का कच्चा है
ज्यों ज्यों उसकी उमर बढ़े, मन पर झूठ का मैल चढ़े
क्रोध बढ़े, नफ़रत घेरे, लालच की आदत घेरे
बचपन इन पापों से हटकर अपनी उमर गुज़ारे
बच्चे मन के सच्चे...

तन कोमल मन सुन्दर
हैं बच्चे बड़ों से बेहतर
इनमें छूत और छात नहीं, झूठी जात और पात नहीं
भाषा की तक़रार नहीं, मज़हब की दीवार नहीं
इनकी नज़रों में एक हैं, मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे
बच्चे मन के सच्चे...

अतः यह स्पष्ट है कि ‘एक कला को सीखने के लिए मनुष्य को स्वयं प्रयत्न कारण पड़ता है’ और ‘गुण सीखा नहीं जाता और न ही यह मनुष्य में पहले से विद्यमान कोई नैसर्गिक वस्तु है. एक मनुष्य का गुण उसके चारों और व्याप्त सामाजिक (social) परिवेश (surroundings) पर आधारित होता है. इसलिए मनुष्य का गुण परिवर्तनशील है. इसका अर्थ यह है कि सामाजिक (social) परिवेश (surroundings) के आधार पर मनुष्य का गुण बदल सकता है और किन गुणों को ग्रहण करना है, किन गुणों को नहीं ग्रहण करना है- यह पूर्णतः मनुष्य की मानसिकता पर निर्भर करता है. अतः यह स्पष्ट है कि जो लोग सामाजिक (social) परिवेश (surroundings) के अनुरूप अपने गुणों को नहीं बदलते और दृढतापूर्वक अच्छे गुणों को आत्मसात किये रहते हैं वे ही महान की श्रेणी में आते हैं.’

Rajat ji, mere blog par aap ye comment post karte to humare liye zyada beneficial hota.
Is topic par mere blog pe comment kijiega, aur aapne gunn aur kalaa ke bare me to bataya..... Bt seedhepan ke baare me bhi comment chahungi.
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