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Old 07-03-2015, 05:26 PM   #1
soni pushpa
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Default **गृहलक्ष्मी **

**गृहलक्ष्मी **

....."गृहलक्ष्मी "..... शब्द सुनने से कितना अच्छा लगता है न ? और एक एईसी ओरत की छवि आपके सामने आ जाती है जो सिर्फ अपनो के लिए जीती है, जो सिर्फ अपनो के लिए सोचती है, जो अपनो की खुशियों के लिए अपने सारे छोटे बड़े सुखों का त्याग करके खुश रहने वाली होती है और सच भी ये ही है की हमारे हिंदुस्तान की महिलाएं होतीं भी एईसी ही हैं . वेइसे दुनिया भर की महिलाएं अपनो के लिए ही ज्यदातर जीती हैं , किन्तु हमारे देश हिन्दुस्तान की तो बात ही अलग है क्यूंकि यहाँ एक स्त्री का सारा संसार उसका परिवार होता है उसका जीवन' उसका परिवार होता है उसका सबकुछ उसका परिवार होता है
८ मार्च को हर साल महिला दिवस मनाया जा रहा है, तब मै एईसी गृहलक्ष्मी के लिए आप सबसे कुछ सवाल पूछना चाहूंगी, कीआप गृहलक्ष्मी शब्द सुनकर ये ही आशा उस गृहलक्ष्मी से रखते हैं की वो परिवार के लिए जिए,.. तो क्या आपने अपनी गृहलक्ष्मी के बारे में कभी सोचा? क्या कभी आपने देखा? की वो थक गई फिर भी पहले आपकी सुविधाओं का ध्यान रखकर आपके कार्य पहले वो पुरे करती है रात जागकर अपने ऑफिस के कार्य पुरे करती है , या घर में बाकि बचे काम होते हैं उसको वो अपने आराम का समय देती है . और भले ही वो बीमार क्यों न हो खुद की परवाह किये बिना आपकी चिंता करती है और आपने बिना उसकी मजबूरियों को देखे ही बस एक के बाद एक आर्डर देते रहते हैं उसके बारे में आपने कभी गौर किया है?

क्या कभी अपने सोचा है? की उसका भी मन होता है, उसकी भी कई इच्छाएं होती हैं , और एक ओरत का भी कभी मन किया करता है की उसे भी थोडा आराम मिले उसे भी घर के लोग सम्मान दें .. सोचा है क्या कभी आपने ? उसकी भी कई इच्छाएं , अरमान होते हैं . पर घरके मर्द कभी इस और ध्यान देते हैं? मेरा मानना है की आपमें से कम से कम ९०% लोग एइसे होंगे जिसकी गर्दन ना में ही हिलेगी ...

जरा सोचिये एक ओरत भी एक इंसान है उसकी भी इच्छाएं होती है उसे भी कभी आराम से कुछ दिन गुजारने का मन करता है और उसे भी अपनो के प्रेम स्नेह की जरुरत होती है उसे भी कभी लगता है की घर के लोग उसे आर्डर देने की बजाय उसकी इच्छाओं को , उसकी थकन को, देखे और महसूस करे . और उसे भी सम्मान मिले और उसे भी अपनापन मिले और सबसे सच्चा स्नेह मिले पर मै जानती हूँ की हरेक घर में ये (आज इतनी दुनिया के सुधर जाने के बाद भी) कोई नहीं समझते की एक स्त्री को सम्मान दें उसकी इच्छाओं को समझे लोग यदि अपने घर की औरतों को सम्मान देते तो आज निर्भया कांड न होते हमारे समाज में , और आज जो खबरें हमे अखबारों में पढ़ने मिल रही है वो न मिलती की आज एक बेटी को दुध पीती किया गया , स्त्री भ्रूण की हत्या की गई या फिर किसी बहु को दहेज़ के लिए जलाया गया या किसी बहु को घर से निकाला गया , तब लगता है की आज भी हमारे समाज में बहुत पिछड़ापन बाकी है.

आज भले ही कुछ अंशतः महिलाओं की उन्नति हुई है पर वो सिर्फ कुछ अंशतः ही, न की समस्त महिलाओ के सम्मान ,मान के लिए हमारे देश की जनता में जागरूकता आई है '

भले ही अंतराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है, कई जगह सभाएं हो रही हैं, कई जगह महिला को सम्मान दिलवाने के वादे किये जायेंगे पर महिला दिवस तब ही सही मे मनाया जायेगा जब महिला को एक इंसान समझा जायेगा न की एक मशीन जो बस हरपल अपनों के लिए जीती है और हरपल अपनों की ख़ुशी के लिए कार्यरत रहती है .

एक महिला को आप थोडा सा सम्मान देकर तो देखिये आपके घर में खुद ब खुद लक्ष्मी का वास हो जायेगा आप अपने घर की महिला के जन्म दिन के तोहफे को टालते रहते होंगे की ले आयेंगे कभी या फिर ये सोचेंगे अगले साल दे देंगे तोहफा ... तोहफा देना ही तो है कभी भी दे देंगे वो खुश हो जाएगी . किन्तु नहीं यदि समय से न दिया गया तो वो तोहफा किसी काम का नहीं होता अक्सर देखा है मैंने की लोग एईसी बातो को टालते रहते हैं. पर मेरा मानना है की तोहफा तब ही दीजिये जब उसका महत्व हो समय चले जाने के बाद तोहफे देने का कोई अर्थ नहीं रह जाता क्यूंकि तब तक एक महिला ने मन मसोस कर जीना सीख लिया होता है.

और एक बात जब भी आपकी गृहलक्ष्मी कोई अच्छा विशेष योग्यता से कोई नया कार्य करे तो उसे प्रोत्साहन दें अक्सर मैंने देखा है की लोग प्रोत्साहन की जगह मन तोड़ते है अपनी गृहलक्ष्मी का क्यूंकि पुरुष का ईगो आड़े आता है उसे शाबाशी देने में . एइसा न करके उसे अपनी बराबरी का माने उसे प्रोत्साहित करे ताकि वो अपने कार्य क्षेत्र में वो आगे बढे इससे आप को लाभ ही है कोई हानी तो नहीं न/? पर न जाने क्यों पुरुष वर्ग क्यों शाबाशी नहीं दे पाते अपनी गृहलक्ष्मी को .

कभी उसके जन्मदिन पर उसे तोहफा दें.

आपके तोहफे की उसे भूख नहीं होती बल्कि उसे आप उसके अस्तित्व का एहसास दिलाते हो .उसकी अहमियत आप जताते हो .और आपके मन में उसके लिए कितना स्नेह और मान है वो आप जताते हो इसमे आपके अहंकार को कोई हानी नहीं है अपितु साथ साथ आपका सम्मान उसकी नजर में और बढेगा ही .एईसी बड़े दिल वाली होतीं है गृहणिया.

अंत में इतना कहूँगी की एकबार अपनी गृहलक्ष्मी के अन्दर झाककर देखिये उसे खुशियाँ दें फिर देखिये आपके घर में कितनी और खुशियों का आगमन होता है और तब आपको खुद लगेगा की हमने सही में आज वुमंस डे याने की महिला दिवस मनाया है .

Last edited by rajnish manga; 07-03-2015 at 09:35 PM.
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