03-11-2014, 07:12 PM
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#984
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
हमारे दरमियान ये अजनबियत का धुवां क्यों है,
हमारी चाहतें हद से ज्यादा क्यों नहीं होती ........
(इरफ़ान सादिक)
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तेरी आँखों में जब से मैंने अपना अक्स देखा है
मेरे चेहरे को कोई आईना अच्छा नहीं लगता |
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