28-11-2013, 09:40 PM
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Re: हाय, क्या चीज है जवानी भी :....
रात भी नींद भी कहानी भी
हाय, क्या चीज है जवानी भी|
दिल को शोलों से करती है सेराब
ज़िन्दगी आग भी है पानी भी।
ख़ल्क़ क्या-क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूँ मैं तेरी ज़बानी भी।
आये तारीख़े-इश्क़ में सौ बार
मौत के दौरे-दरम्यानी भी।
अपनी मासूमियों के पर्दे में
हो गयी वो नज़र सियानी भी।
दिन को सूरजमुखी है वो नौगुल
रात को है वो रातरानी भी।
दिले - बदनाम तेरे बारे में
लोग कहते हैं इक कहानी भी।
दिल को अपने भी ग़म थे दुनिया में
कुछ बलायें थीं आसमानी भी।
दिल को आदाबे-बन्दगी भी न आये
कर गये लोग हुक्मरानी भी।
पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी मेज़बानी भी।
ज़िन्दगी ऐन दीदे - यार ’फ़िराक़’
ज़िन्दगी हिज्र की कहानी भी।
एक पैग़ामे-ज़िन्दगानी भी
आशिक़ी मर्गे-नागहानी भी।
इस अदा का तेरे जवाब नहीं
मेह्रबानी भी सरगरानी१ भी।
दिल में इक हूक भी उठी ऐ दोस्त
याद आयी तेरी जवानी भी।
मनसबे - दिल२ ख़ुशी लुटाना है
ग़मे-पिनहाँ की पासबानी भी।
देख दिल के निगारखाने में
जख़्में-पिनहाँ की है निशानी भी।
फ़िराक गोरखपुरी :
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