Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
खैर, आज दोपहर का समय था और मैं चिंतित मुर्दा में अपने चौंकी पर लेटा था। मेरे हाथ में एक छोटी सी किताब थी जिसका नाम मैं नहीं जानता, पर उसे पढ़ रहा था। कुछ गंभीर विषय की किताब थी जिसकी कई बातें सोंचने पर मजबूर कर रही थी। दरअसल यह किताब आज से दो तीन साल पहले हाथ तब लगी थी जब फूआ से झगड़ा कर अपने घर भाग गया था। घर में चाचा के टूटे बक्से से इसे चुराई थी। किताबों को पढ़ने का शौक तो था ही, बक्सा में किताब ढूंढ रहा था तभी नजर गई थी दो छोटी सी किताबों पर जिसमें से एक का नाम था ‘‘किशोरों की सेक्स समस्याऐं’’ और दूसरी शीर्षकहीन थी। कौतूहलवश पहली किताब को पढ़ गया पर उसे घर में छुपा कर रखना बहुत ही मुश्किल होता था इसलिए उसे दोस्तों को दे दिया और वह गांव भर के लड़कों के बीच होती हुयी गायब हो गयी।
पर दूसरी किताब की ढेर सारी बातें समझ में नहीं आती थी पर उसमें छोटी छोटी कहानियों के माध्यम से बहुत बात समझाई गई थी जिसमें समाज और आदमी का चरित्र का चित्रण था। उस किताब का पहला चेप्टर था सत्य की खोज जिसमें एक कहानी थी कि एक राजा को वित्त मंत्री की जरूरत पड़ी और उसने देश के सभी गणीत के विद्वानों को साक्षात्कार के लिए बुलाया। बहुत लोग जमा हुए जिसे राजा ने एक कमरे में यह कह कर बंद कर दिया कि जो गुणा-भाग कर दरवाजे से बाहर आएगा वही मंत्री बनेगा। सभी लोग छोटे से कमरे से निकलने के लिए गुणा-भाग करने लगे पर एक व्यक्ति शांति से बैठ गया। कुछ देर बाद वह उठा और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया। सत्य की खोज यही थी। दरवाजा बाहर से बंद नहीं था।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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