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नासा ने हल किया 2000 साल पुराने सुपरनोवा का रहस्य
वाशिंगटन ! नासा की दूरबीनों से किये गये नये अवरक्त प्रेक्षणों ने खुलासा किया है कि पहली बार दर्ज किया गया सुपरनोवा कैसे पैदा हुआ था और किस प्रकार इसके अवशेष ब्रह्मांड में दूर दूर तक फैल गये थे। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कल कहा कि उसके स्पित्जर अंतरिक्ष दूरबीन और व्यापक अवरक्त सर्वे अन्वेषक (डब्ल्यूआईएसई) ने 2000 साल पुराने रहस्य को हल ढूंढ निकाला है जब चीनी खगोलविज्ञानियों ने सितारे में विस्फोट को होते हुए देखा। इन नतीजों ने दिखाया कि सितारे में विस्फोट की घटना एक गहरी गुफानुमा जगह पर हुई थी जिसके कारण सितारे से निकलने वाले अवशेष सामान्य से कहीं ज्यादा तेजी से और काफी दूर तक बिखर गये। उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के खगोलविज्ञानी और एस्ट्रोफिजिकल जर्नल के आनलाइन संस्करण में दूरबीन की खोज का विवरण देने वाले नये अध्ययन के प्रमुख लेखक ब्रायन विलियम्स ने कहा, ‘‘यह सुपरनोवा अवशेष काफी बड़ा, काफी तेज था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘2000 साल पहले हुआ यह सुपरनोवा सामान्य सुपरनोवा से दो से तीन गुना बड़ा था। अब हम इसके कारण को सटीक तौर पर जान गये हैं।’’
185 ईस्वी में चीन के खगोलविदों ने आसमान में एक ‘मेहमान सितारे’ का विवरण दर्ज किया है जो रहस्यमयी तरीके से दिखाई दिया और लगभग आठ माह तक दिखता रहा। 1960 तक वैज्ञानिकों ने यह निर्धारण कर लिया था कि यह रहस्यमयी पिंड पहली बार दर्ज किया गया सुपरनोवा था। बाद में उन्होंने इस पिंड की पहचान 8000 प्रकाश वर्ष दूर सुपरनोवा के अवशेष के तौर पर की लेकिन यह एक पहेली ही थी कि सितारे के गोलाकार अवशेष उम्मीद से कहीं बड़े क्यों थे। वैज्ञानिकों ने इस पिंड का नाम आरसीडब्ल्यू 86 रखा था। वाशिंगटन स्थित नासा के मुख्यालय में स्पित्जर और डब्ल्यूआईएसई कार्यक्रम के वैज्ञानिक बिल डांची ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष में हमारी पहुंच को बढा देने वाली अनेक वेधशालाओं की मौजूदगी के चलते हम इस सितारे की मौत के बारे में आज पूरी तरह सटीक तरीके से जानकारी दे सकते हैं हालांकि हम पुराने खगोलविदों की तरह ब्रह्मांड में हो रही इन घटनाओं से आश्चर्यचकित हैं।’’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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