30-08-2016, 10:53 AM
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Re: वृतान्त
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Originally Posted by rajnish manga
👵 💐*""माँ केवल माँ है""* 💐👵
*उसको मरने से पहले ना मारें.*
*माँ हमारी ताकत है उसे बेसहारा न होने दें , अगर वह कमज़ोर हो गई तो हमारी संस्कृति की ""रीढ़ कमज़ोर"" हो जाएगी* , बिना रीढ़ का समाज कैसा होता है किसी से छुपा नहीं
अगर आपकी परिचित परिवार में ऐसी कोई समस्या हो तो उसको ये जरूर पढ़ायें, *बात को प्रभावी ढंग से समझायें , कुछ भी करें लेकिन हमारी जननी को बेसहारा बेघर न होने दें*, अगर *माँ की आँख से आँसू गिर गए तो *"ये क़र्ज़ कई जन्मों तक रहेगा"*, यकीन मानना सब होगा तुम्हारे पास पर *""सुकून नहीं होगा""* , सुकून सिर्फ *माँ के आँचल* में होता है उस *आँचल को बिखरने मत देना*।
इस *मार्मिक दास्तान को खुद भी पढ़िये और अपने बच्चों को भी पढ़ाइये ताकि पश्चाताप न करना पड़े*।
*धन्यवाद*!!!
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यह मार्मिक प्रसंग उस समाज के मुंह पर एक चांटा है जो अपने बुजुर्गों का आदर करना नहीं जानता. अपने स्वार्थों के वशीभूत हो कर अपने माता पिता को अपने घर में नहीं रखना चाहते और उन्हें वृद्ध आश्रम में भेज देना चाहते हैं. वे सोचते हैं कि बुज़ुर्ग लोग उनकी आज़ादी में बाधक हैं. मैं आपको इस प्रसंग को पोस्ट करने के लिये बधाई देता हूँ, बहन पुष्पा जी, और धन्यवाद भी देना चाहता हूँ. इसको पढ़ कर ऐसे लोगों की आँखें खुल जानी चाहिये जो अपने बुजुर्गों की घर में इज्ज़त नहीं करते और उन्हें बोझ समझते हैं..
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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