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मन्ना डे एक संस्थान थे : बंगाली संगीत उद्योग
बंगाली संगीत उद्योग ने प्रसिद्ध गायक मन्ना डे को एक ऐसा संस्थान बताया कि जिसने संगीत के साथ कभी समझौता नहीं किया। संध्या मुखर्जी ने डे के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा, ‘‘मन्नादा एक मुखर व्यक्ति थे और उन्होंने संगीत से कभी समझौता नहीं किया। वह हमेशा हमारे साथ (हमारी यादों में) बने रहेंगे। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने कई फिल्मों और कार्यक्रमों में साथ गाया। वह महान गायक थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा पार्श्वगायन में एक अमिट छाप भी छोड़ी। उन्होंने 90 की उम्र तक गाने रिकार्ड करवाए। ’’ मन्नाडे के साथ काम कर चुकी अन्य गायिका आरती मुखर्जी ने कहा, ‘‘उन्हें संगीत जन्मजात उपहार के रूप में मिला लेकिन उन्होंने उसे हमेशा निखारने का काम किया। वह सुगम संगीत में शास्त्रीय अंश लाए और उसे आम आदमी के लिए ग्राह्य बनाया। यह उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक थी। ’’ बचपन से ही डे की प्रशंसक रहीं हैमंती शुक्ला ने कहा, ‘‘पहले मुम्बई और फिर बेंगलूर चले जाने के बाद भी वह दिल से बंगाली ही रहे । उनकी हमेशा यह इच्छा रहती थी कि बंगाली संगीत फले फूले और उसे व्यापक स्वीकार्यता मिले।’’? गायिका श्रेया घोषाल ने डे को बहुमुखी प्रतिभा का गायक बताया और कहा कि वह पूरी जिंदगी गायक के रूप जीते रहे। महान संगीत निर्देशक बप्पी लाहिडी ने कहा कि उनके निधन से जो रिक्तता आयी है वह नहीं भर पाएगी। डे के भतीजे सौरव ने कहा कि कोलकाता से चले जाने के बाद भी वे हमारे सम्मानित व्यक्ति बने रहे। उन्होंने कहा, ‘‘वह हमेशा जरूरत की घड़ी में हमारे साथ थे। हमें उनकी बहुत याद आती है।’’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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