अदालत में नवीन पर मुकद्दमा चल रहा था। नवीन के सब दोस्त, रिश्तेदार भी आए थे। सिर्फ कमलेश को कौशिक ले कर नहीं आया था।
नवीन के वकील ने दलील की थी के कभी चेक से पैसे उठाने का, वगैरह जुर्म नहीं हुआ है। एसे सफल आदमी के कई दुश्मन भी होतें है, या एसे ही किसी ने यह काम कर दिया गया है।
ईससे पहले की अदालत फैंसला सुनाए, नवीन कुछ कहने की ईजाजत मांगता है। जहां वह कुबुल करता है की यह फ्रोड काम उसी ने किया था। जब उसे पैसे की जरुरत थी और सर पर छत भी नहीं थी, तब उसे किसी ने मदद नहीं की थी। ईस लिए ईस पासबुक दिखा कर उनकों चकाचौंध करना जरुरी था।
यह भी कहा की अच्छे मार्क्स से पास होने और डिग्री होने के बावजुद कई नौजवान एसे ही कारणों से जीवनभर झुझते रहतें है।
कोर्ट में ब्रेक हुआ।
घंटे भर बाद न्यायाधीश ने कहा की जिस तरह नवीन आगे बढा है वही काबिलेतारीफ है। उनके दोस्तों को शर्म आनी चाहिए की उन्हों ने मदद नहीं की। बैंक ने अपना केस वापस खींचने शिफारिश की थी और साथ में यह भी कहा था की बेंक आगे से एसे नौजवानों के लिए लोन का प्रावधान करेगी जो महेनत से आगे बढना चाहतें है।
लेकिन जुर्म आखिर जुर्म होता है। नवीन को अपने फ्रोड की सजा तो मिलनी चाहीए...यह कह कर जज ने सन्नाटा कर दिया। अंत मे उन्हों ने नवीन को कोर्ट की कार्यवाही पुरी होने तक कस्टडी में रखने की सजा दी!
सुदर्शन और उसके दोस्त नवीन के पास आ कर माफी मांगते है। सभी लोग बहुत खुश थे।