एक और फिलिस्तानी प्रेम गीत
तेरे अल्फ़ाज़ मेरा नग़मा थे
मेरे होठों पे वह उभरे थे तरन्नुम बनकर
लेकिन अफसोस कि मौसम बदले
खुशनुमा रंगों पे एक बर्फ की चारद फैली
यूँ उड़े लफ्ज तेरे जैसे परिंदा कोई
अजनबी रास्तों में खो जाए
फिर तेरा साथ छूटा
ख्वाब के आइने भी टूट गए
दर्द के तूफाँ में हम डूब गए
ख्वाब के टुकड़ों की झंकार लिए
ऐ जानेजाँ! तेरे लिए हम तड़पते ही रहे