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Originally Posted by rafik
मस्जिद तो हुई हासिल हमको, खाली ईमान गंवा बैठे ।
मंदिर को बचाया लढ-भीडकर, खाली भगवान गंवा बैठे ।
धरती को हमने नाप लिया, हम चांद सितारों तक पहुंचे ।
कुल कायनात को जीत लिया, खाली इन्सान गंवा बैठे ।
मजहब के ठेकेदारों ने आज फिर हमे युं भडकाया ।
के काजी और पंडित जिन्दा थे, हम अपनी जान गंवा बैठे ।
सरहद जब जब भी बंटती है, दोनो नुकसान उठाते है ।
हम पाकिस्तान गंवा बैठे, वो हिन्दुस्तान गंवा बैठ ।
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बहुत्त बहुत.... प्यारी कविता है bhai सच छिपा है इस कविता के एक एक शब्द में ... ... काश ये बात सब समझते ..