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Originally Posted by rajnish manga
उक्त कविता इतनी खुबसूरत व् अर्थपूर्ण है कि इसे पूरी तरह उद्धृत करना आवश्यक हो गया है. इसमें रहस्यवाद की झलक भी है और एक सूफ़ी का समर्पण भी है. पिछली रचना के आठ माह बाद प्रकाशित यह एक उल्लेखनीय कविता है. शेयर करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद, पवित्रा जी.
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आप से मिलने वाली सराहना सदैव प्रोत्साहित करती है। बहुत बहुत धन्यवाद।