17-11-2010, 11:28 AM
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#9
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Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
न जाने क्यूँ गले से लिपट कर रोने लगा,
जब हम बरसों बाद मिले,
जाते हुए जिसने ने कहा था ....
की "तुम जैसे लाखों मिलेंगे"…!!!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!"
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