Re: बॉलीवुड शख्सियत
जीरो से हीरो तक
अपने घर से नग्न अवस्था में बाहर आने वाला बालक अपने साथ जीरो लेकर चला था. जब कॉमेडियन के रूप में वह फिल्मों के लिए अनिवार्य हो गए तो छोटे बजट की फिल्मों में उन्हें हीरो के रोल मिलने लगे. इनमें छोटे नवाब (निर्माता-महमूद), फर्स्ट लव, प्यासे पंछी, कहीं प्यार ना हो जाए, शबनम, भूत बंगला, नमस्ते जी जैसी फिल्में प्रमुख हैं. आईएस जौहर के साथ भी महमूद की ट्यूनिंग उम्दा रही. जौहर-महमूद इन गोआ के बाद जौहर-महमूद इन हांगकांग इस जोड़ी की यादगार फिल्में हैं.
साठ के दशक में मध्य से हिन्दी फिल्मों के लिए महमूद का फिल्म में होना उसकी सफलता की गारंटी बन गया था. इस दौर में बड़े बैनर, बड़ी फिल्में और बड़े सितारों के साथ काम करने का मौका मिला. ऐसी फिल्मों का यहां सिर्फ उल्लेख किया जा सकता है- पत्थर के सनम, दो कलियां, नीलकमल, औलाद, प्यार किये जा, हमजोली, पड़ोसन आदि.
फिल्म पड़ोसन महमूद के करियर की ऑल टाइम ग्रेट फिल्म है. यदि पांच कॉमेडी फिल्मों की तालिका बनाई जाए, तो निश्चित रूप से उनमें से एक पड़ोसन रहेगी. शुभा खोटे के बाद कॉमेडी-पार्टनर के रूप में दूसरी लेडी हैं अरुणा ईरानी. महमूद का साथ पाकर अरुणा का करियर इतना आगे बढ़ गया कि महमूद ने अपने प्रोडक्शन हाउस में उनको हीरोइन बनाकर फिल्म बॉम्बे टू गोआ (1972) बनाई.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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