Re: कसाब को फांसी से मनी दूसरी दिवाली
मुंबई हमले से जुड़े मामले के न्यायाधीश एम. एल. ताहिलियानी ने कहा कि उसे गर्दन से तब तक लटकाया जाए, जब तक उसकी मौत न हो जाए। उसने ‘मानवीय व्यवहार’ का अधिकार खो दिया है। कसाब ने 2005 में पिता के साथ झगड़े के बाद अपना घर छोड़ दिया था। उसने ईद पर नए कपड़े मांगे थे, लेकिन उसके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह उसे नए कपड़े दिला पाते, लिहाजा उन्होंने मना कर दिया, जिससे कसाब नाराज हो गया और घर से चला गया। उसके बाद इसने अपने दोस्त मुजफ्फरलाल खान के साथ मिलकर छोटे-मोटे अपराध करने शुरू किए और फिर सशस्त्र लूटपाट तक पहुंच गया। 21 दिसंबर, 2007 को वह ईद के दिन रावलपिंडी में था और हथियार खरीदने की कोशिश कर रहा था, जहां उसकी मुलाकात लश्कर-ए-तैयबा की राजनीतिक शाखा जमात-उद-दावा के सदस्यों से हुई, जो पर्चे बांट रहे थे। कुछ देर की बातचीत के बाद उनमें लश्कर-ए-तैयबा के आधार शिविर मरकज तैयबा में प्रशिक्षण लेने के बारे में सहमति बनी। कसाब उन 24 लोगों के समूह का हिस्सा था, जिन्हें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पर्वतीय इलाके में लड़ाका प्रशिक्षण दिया गया। इसी समूह में से बाद में कसाब सहित उन 10 आतंकवादियों का चयन किया गया, जिन्होंने मुंबई को निशाना बनाया। ऐसी खबर मिली थी कि लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी ने हमले में उसके शामिल होने पर उसके परिवार को डेढ़ लाख रुपए देने की पेशकश की थी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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