जयति जयति वन्दन हर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥
भक्ति योग रस अवतार अभिराम
करें निगमागम समन्वय ललाम ।
सिय पिय नाम रूप लीला गुण धाम
बाँट रहे प्रेम निष्काम बिन दाम ।
हो रही सफल काया नारी नर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥
गुरु पद नख मणि चन्द्रिका प्रकाश
जाके उर बसे ताके मोह तम नाश ।
जाके माथ नाथ तव हाथ कर वास
ताके होए माया मोह सब ही विनाश ॥
पावे रति गति मति सिया वर की
गाओ मिल आरती सिया रघुवर की ॥