Re: 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस
आजाद हिंद फौज के कैप्टन ने कहा
आजादी की कद्र नहीं जानते नेता
आजाद हिंद फौज (आईएनए) के एक कैप्टन ने मांग की है कि स्वाधीनता संग्राम के बारे में युवा पीढ़ी को जानकारी देने के लिए स्कूलों में एक अलग पीरियड की व्यवस्था होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि आज के नेता आजादी की कद्र करना नहीं जानते और न ही उन्हें इस बात का अहसास है कि आजादी कितने बलिदानों से मिली है, वे तो बस ‘नोट और वोट’ के चक्कर में सब कुछ बर्बाद करने में लगे हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई वाली ‘आजाद हिंद फौज’ के कैप्टन तथा जालंधर निवासी ओ. पी. शर्मा (90) ने कहा, ‘नेताओं को इस बात का अहसास नहीं है कि हमें आजादी कैसे मिली है। उन्हें शायद यह भी जानकारी नहीं है कि बहुत बड़ी कुर्बानी देने के बाद हमें यह आजादी हासिल हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘नेताओं को देश में काम की चिंता नहीं है। उन्हें सिर्फ सत्ता में बने रहने की चिंता है। वे सुभाष चंद्र बोस और अन्य क्रांतिकारियों के बलिदान से मिली इस आजादी का अपमान कर रहे हैंं।’ बेहद कमजोर, लेकिन चुस्त दिखने वाले शर्मा ने दुखी होकर कहा, ‘शासक वर्ग ने आज आजादी के मायने ही बदल दिये हैं। बड़ा दुख होता है। हमने किस मिशन के साथ काम किया था और आज लोगों का मिशन क्या हो गया है।’ बेहद अनुशासित और संतुलित तरीके से बातचीत करने वाले शर्मा ने यह भी कहा, ‘सबको अपनी पड़ी हुई है। देश के बारे में कोई नहीं सोच रहा है। हर तरफ गुंडागर्दी है, बेरोजगारी है, इनके बारे में सोचने के लिए किसी को फुर्सत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि नेताजी हमेशा कहते थे कि जिसने देश के लिए कुछ कर दिया, उसका जन्म लेना सफल हो गया। इसलिए देश के लिए कुछ करो। उन्होंने कहा कि अब एक बार फिर से देश के लिए कुछ करने का वक्त आ गया है। लोगों को इस बारे में सोचना होगा। यह पूछे जाने पर कि आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे, टूटे शब्दों में शर्मा कहते हैं, ‘आजादी बड़ी मुश्किल से मिली है। इसका अपमान न करो। इसकी कद्र करो। जो दौर हमने और आपके पूर्वजों ने देखा है, ऐसा कुछ करो कि आपको फिर से वो दौर न देखना पडे।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘लोगों को आजादी, आजादी की लड़ाई और क्रांतिकारियों के बारे में बताने की जरूरत है। आज की पीढ़ी को उनके बारे में जानकारी ही नहीं है जिन लोगों ने अपना बलिदान देकर मुल्क को अंग्रेजों की दास्तां से मुक्त कराया था। इसलिए यह जरूरी है कि स्कूलों में इसके लिए अलग से एक पीरियड की व्यवस्था होनी चाहिए।’ वयोवृद्ध शर्मा अपने घर आने वाले हर किसी का अभिवादन ‘सल्यूट’ कर और ‘जय हिंद’ कह कर करते हैं। बातचीत में उनके शब्द टूटते हैं। उनकी स्मृति में वह सब कुछ है, जो उन्होंने उस दौर में देखा था। वह कहते हैं, ‘पहले मैं 17 साल की उम्र में अंग्रेजों की फौज में भर्ती हुआ था। मुझे सिंगापुर लड़ने के लिए भेज दिया गया।’ शर्मा ने कहा, ‘मैं जब सिंगापुर में था तो मुझे नेताजी के ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा’ के नारे के बारे में पता चला। मैंने अंग्रेजों की फौज छोड़ दी। बीस साल की उम्र में आजाद हिंद फौज में बतौर सुरक्षा अधिकारी भर्ती हो गया।’ उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने बर्मा (अब म्यामां) और थाईलैंड में फिरंगियों के खिलाफ संघर्ष किया। उन्हें गोली भी लगी। बाद में उन्हें कालापानी भेज दिया गया। शर्मा ने कहा, ‘जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की घटना ने भी हमारी आजादी को प्रभावित किया ... नहीं तो हम तो 1947 से पहले ही आजाद हो गए होते। गांधी जी कहते थे, लड़ो मत। हम ऐसे ही आजादी ले लेंगे, लेकिन सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज नहीं होती, तो आजादी मिलने में 20 साल और लगते।’ उन्होंने भर्राये गले से कहा, ‘मेरी जिंदगी पूरी हो गई है। मेरा बुलावा कब आ जाए, पता नहीं ... लेकिन आप सब (देशवासियों) से गुजारिश है कि देश और आजादी को बनाये रखना आपका कर्तव्य है और इससे पीछे नहीं हटिए। कुर्बानी भी देनी पड़े, तो आगे रहिए, क्योंकि आजादी कैसे मिली है यह आप नहीं जानते हैं।’
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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