24-05-2015, 12:24 PM
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Re: टीवी पर गुटबंदी
Quote:
Originally Posted by deep_;551221[size=3
]....हमें यह लगता है की हम टीवी देख रहें है....लेकिन दरअसल टीवी हमें देख रहा होता है ! पहले यह होता था के प्रोग्राम के बीच विज्ञापन आते थे, अब विज्ञापनों के बीच कार्यक्रम देखने पड़ रहें है।[/size] ....
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धन्यवाद, दीप जी. आपने बड़े रोचक ढंग से टीवी दर्शक की बेचारगी बयान कर दी है. अपनी प्रतिक्रिया के दूसरे भाग में भी आपने इस स्थिति का संतुलित विश्लेषण प्रस्तुत किया है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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