Re: बॉलीवुड शख्सियत
शंकर जयकिशन, महमूद और मो. रफ़ी
महमूद साहब ने अपने कैरियर में बहुत से गीतों पर अभिनय किया होगा मगर जितने बढ़िया गीत उन्हें शंकर जयकिशन के संगीत निर्देशन में मिले उतने कदाचित किसी और के निर्देशन में नहीं मिले. याद कीजिये फिल्म “सांझ और सवेरा” का वो सुमधुर गीत – अजहूँ न आये बालमा..sss.. सावन बीता जाये. यह रफ़ी द्वारा गाये और शंकर जयकिशन द्वारा संगीतबद्ध किये गये सर्वोत्तम क्लासिकल गीतों में से एक है. इसके बाद चर्चा करते हैं फिल्म “गुमनाम” के गीत ‘हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं’ जो हमेशा के लिये महमूद का ट्रेडमार्क गीत बन गया. इसमें रफ़ी साहब ने महमूद के स्टाइल और अभिनय को ध्यान में रखते हुये ही गाया है. इसे सुनते हुये यूँ लगता है जैसे खुद महमूद ने ही इसे अपना स्वर दिया हो. फिल्म “छोटी बहन” का वह भावुकतापूर्ण गीत “मैं रिक्शा वाला’ और फिल्म “ज़िन्दगी” में ‘घुंघरवा मोरा छम छम बाजे’ भी इन महान विभूतियों की समवेत रूप से उल्लेखनीय रचनाएं हैं.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
|