View Single Post
Old 22-11-2010, 05:08 PM   #2
ABHAY
Exclusive Member
 
ABHAY's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34
ABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud ofABHAY has much to be proud of
Post Re: !!श्री शनि जी महराज!!

शेष देव-लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ई॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना॥
जम्बुक सिंह आदि नखधारी। सो फल जज्योतिष कहत पुकारी॥
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवै। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं॥
गर्दभ हानि करै बहु नष्ट कर डारै। मृग दे कष्ट प्रण संहारै॥
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी॥
तैसहि चारि चरण यह नामा। स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा॥
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै॥
समता ताम्र रजत शुभकारी। र्स्वण सर्व सुख मंगल कारी॥
जो यह शनि चरित्र नित गावै। कबहु न दशा निकृष्ट समावै॥
अदभुत नाथ दिखावैं लीला। करै शत्रु के नशि बलि ढीला॥


जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत। दीप दान दे बहु सुख पावत॥
कहत रामसुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाश॥


दोहा

पाठ शनिचर देव को की विमल तैयार।
करत पाठ चालिस दिन हो भवसागर पार॥
ABHAY is offline   Reply With Quote