Re: विश्व में नास्तिकता की स्थिति और संभावना
इस सारे विमर्श का निष्कर्ष क्या निकलता है? क्या संसार में नास्तिकता बढ़ रही है? या घट रही है? इसका सही उत्तर यह है कि यद्यपि सुशिक्षित देशों में आज से पांच या दस साल पहले की अपेक्षा नास्तिक अधिक संख्या और प्रतिशत में हैं, तथापि धार्मिक अंधविश्वासों में जकड़े हुए पिछड़े देशों में क्योंकि जनसंख्या वृद्धि की दर अधिक है, कुल संसार की जनसंख्या में उनका अनुपात घट रहा है। उदाहरण के लिए वैज्ञानिक शिक्षा संपन्न देश ब्रिटेन के संबंध में ब्रूस और ग्रिल के सर्वेक्षणों ने पाया था कि 1960 में उसके 74 प्रतिशत लोग ईश्वर में विश्वास करते थे, पर 1990 में यह प्रतिशत 68 ही रह गया। नोरिस और इंगलहार्ट के अनुसार पिछले 50 बरस के दौरान आस्तिकों का प्रतिशत स्वीडन की जनसंख्या में 33%, नीदरलैंड्स में 22%, आस्ट्नेलिया में 20%, नार्वे में 19% और डेनमार्क में 18% घटा है। यह संसार के जाग्रत-विवेक नास्तिकों के लिए एक प्रेरक सूचना है। लेकिन यहां इस विडम्बना पर भी ध्यान देना चाहिए कि संगठित धर्मों की जनसंख्या सीधे किसी देश की जनसंख्या वृद्धि के साथ ही बढ़ जाती है, जब कि नास्तिकों की जनसंख्या उस देश में ज्ञान-विज्ञान और शिक्षा के प्रसार और उस देश के जाग्रत-विवेक नास्तिकों के प्रयत्नों पर, उनके द्वारा धार्मिक अंधविश्वासों के विरुद्ध प्रचार-प्रसार पर सीधी निर्भर है। एक हिन्दू या मुस्लिम परिवार का बच्चा पैदा होते ही उस धर्म की संख्या बढ़ा देता है, जबकि नास्तिक पैदा नहीं होते, पढ़-लिख कर बनते या पढ़ा-लिखा कर बनाये जाते हैं। इसलिए नास्तिकों को भी ईसाई मिशनरियों की तरह एक मिशन बना कर अपनी ‘सम्बोधि’ के प्रसार के प्रयत्न निरन्तर करने चाहिए ताकि इस संसार से अज्ञान और अंधविश्वास का अंधेरा दूर हो और ज्ञान का प्रकाश फैले। केवल अपनी मुक्ति से सन्तुष्ट नहीं होना चाहिए, अन्य लोगों की मुक्ति की भी चिन्ता करनी चाहिए - यही मनुष्यता है। यही मानव धर्म है।
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