अब एक हरयाणवी स्टाइल में...
एक बै थानेदार, कलेक्टर अर मास्टर बैठे थे !
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थानेदार :- मेरा बहुत रौब है, जब जी करे किसी को भी पीट
सकता हूँ !
कलेक्टर :- मैं जिले का मालिक हूँ, जो चाहूँ कर सकता हूँ !
आखिर में मास्टर की बारी आयी .............
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मास्टर :- आपणा तो जी, कोई रौब नहीं है !
सारा दिन स्टूडेंट्स को चाँटे मारता हूँ,
आगै उनकी किस्मत, फिर चाहे पगले थानेदार बणें या कलेक्टर !