नीलम शनि ग्रह का मुख्य रत्न हैं | इसको धारण करने से पहले इसकी परिक्षा करनी अत्यंत आवश्कय हैं | यह अपना प्रभाव अति शीघ् दिखाता हैं अतः २ - ३ दिन इसको अपने दाहीने भुजा में बांधकर रखना चाहीये | यदि अशुभ फल का आभस दे तो इस तुरंत त्याग देना चाहीये | असली नीलम चमकीला, चिकना मोरपंख के समान वर्ण वाला नीली रश्मियों से युक्त, पारदर्शी होता हैं | असली नीलम को गाय के दूध में डाला जाये तो दूध का रंग नीला दिखाई देता हैं| सूर्य की किरणों में रखने पर नीले रंग की किरणें निकलती दिखाई देगी | नीलम धारण करने से धन, धान्य, यश, किर्ती, बुद्धि, चातुर्य और वंश की वृद्धी होती हैं | नीलम शनि की साढे सती का निवारण करता हैं | शनिवार को नीले पूष्प , ३ उत्तरा ,चित्रा, स्वाती, धनिष्ठा, शतभिषा, नक्षत्रों में लोहे या स्वर्ण की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहीये | शनि के मंत्रो से अभिमंत्रित करने से पहले काला धान्य, काला वस्त्र, तथा लोहे का दान करना श्रेयस्कर हैं |