Re: गधा माँगे इन्साफ़
नारद ने कुछ विचार करते हुए कहा- ’बात तो आपकी ठीक लगती है, भगवन्.. मगर देवर्षि होने के कारण मुझे गधे की सवारी करने में बड़ी शर्म महसूस होती है। प्रेस्टिज-प्राॅब्लम है। सुपिरिआॅरिटी काॅम्प्लेक्स है। और फिर इसमें आपकी कोई चाल तो नहीं?’
भगवान् विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’इसमें कोई चाल नहीं, नारद मुनि। मैं तो आपके भले के लिए कह रहा हूँ। कुछ नहीं से गधा भला। सुपिरिआॅरिटी काॅम्प्लेक्स और प्रेस्टिज प्राॅब्लम की बात सोचेंगे तो कब तक पैदल चलेंगे? पैदल चल-चल कर थक जाएँगे आप। गधे से चलेंगे तो आपको बिल्कुल थकावट महसूस नहीं होगी। और फिर जैसे ही कोई अच्छा वाहन खाली हुआ, आपके नाम तुरन्त अलाॅट कर दिया जाएगा। आप बिल्कुल चिन्ता न करिए, नारद मुनि। मैं आपकी प्राॅब्लम समझ गया। वास्तव में गधा गधे की तरह दिखने के कारण ही आप उस पर चलने में अपना अपमान महसूस कर रहे हैं और शर्मा रहे हैं। मैं गधे को रंग-बिरंगे और चमकीले रंग से इस तरह रंग दूँगा कि गधा गधा नहीं, जि़राफ़ का छोटा भाई लगेगा। लोग आश्चर्य से देखेंगे कि नारद मुनि किसी अद्भुत वाहन पर चल रहे हैं। इससे आपकी इज्ज़त और बढ़ेगी। क्योंकि ऐसा विचित्र वाहन देवलोक में किसी देवी या देवता के पास नहीं होगा। समझदारी इसी में है, नारद- किसी से यह न बताया जाए- आप एक गधे की सवारी कर रहे हैं।’
|