Re: गधा माँगे इन्साफ़
भगवान् विष्णु ने गधे को बहुत समझाया किन्तु गधा अपनी जि़द पर अड़ा रहा। विष्णु ने नारद से कहा- ’चलिए, नारद जी.. आप ही गधे से माफ़ी माँग लीजिए। नहीं, वाहन हाथ से निकल जाएगा।’
नारद ने भड़ककर कहा- ’मैं एक गधे से कभी माफ़ी नहीं माँगूगा। यह मेरा अपमान है।’
भगवान विष्णु ने नारद को समझाते हुए कहा- ’नारद जी, मौके की नज़ाकत को समझिए। बड़ी मुश्किल से हाथ आया गधा अगर हाथ से निकल गया तो फिर पकड़ में नहीं आएगा। लोग मज़बूरी में गधे को भी बाप बनाते हैं। मैं आपसे गधे को बाप बनाने के लिए नहीं कह रहा हूँ, सिर्फ़ वाहन बनाने के लिए कह रहा हूँ। पकड़ लीजिए गधे का पैर।’
नारद अपनी जि़द पर अड़े रहे। गधा भी बिना माफ़ी माँगे नारद का वाहन बनने के लिए तैयार न हुआ।
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