Re: गधा माँगे इन्साफ़
अन्त में भगवान विष्णु ने अपना निर्णय सुनाते हुए कहा- ’ठीक है, नारद। तुम कुछ महीनों तक गधे को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करो। और गधे, तुम भी नारद के वाहन के रूप में नारद के साथ रहो। हो सकता है कि इन कुछ महीनों में तुम दोनों एक-दूसरे को इतना पसन्द करने लगो कि नारद को माफ़ी माँगने की ज़रूरत ही न पड़े। जब तक तुम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती न हो जाए, देव-वाहन के रिकार्ड में नारद मुनि के नाम के साथ उनके वाहन के रूप में गधा का नाम नहीं चढ़ाया जाएगा।’
भगवान् विष्णु की युक्ति नारद और गधा- दोनों को पसन्द आ गई। नारद ने पूछा- ’मेरे और गधे के बीच के इस नए वाहन एग्रीमेण्ट का नाम क्या होगा, भगवन्?’
विष्णु ने मुस्कुराते हुए कहा- ’इस नए वाहन एग्रीमेण्ट का नाम ’लिव-इन-गदहाशिप’ होगा!’
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