Re: गधा माँगे इन्साफ़
देव-वाहन एग्रीमेण्ट का नया नाम सुनकर नारद प्रसन्न हो गए। भगवान विष्णु ने गधे को रंग-बिरंगे और चमकीले रंग से रंगकर एक अद्भुत वाहन बना दिया। नारद खुशी-खुशी गधे की सवारी करने लगे। भगवान विष्णु नारद के साथ शरारत न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता। एक दिन नारद जब धरतीलोक पर गधे की सवारी कर रहे थे तो अचानक ज़ोर से पानी बरसने लगा। ज़ोरदार बारिश में गधे का रंग पानी में घुलकर बह गया और गधा गधा लगने लगा। नारद समझ गए कि भगवान विष्णु अपनी आदत से बाज नहीं आए और उन्होंने एक बार फिर उनके साथ शरारत करके भद्दा मज़ाक किया। इसीलिए गधे को पक्के रंग से न रंग कर वाटर कलर से रंग दिया। तब से आज तक नारद श्राप देने के लिए भगवान विष्णु को ढूँढ रहे हैं किन्तु विष्णु डरकर क्षीरसागर से बाहर ही नहीं निकलते। गधे से अच्छी दोस्ती हो जाने के कारण नारद आज भी गधे की ही सवारी कर रहे हैं, किन्तु देवलोक के रिकार्ड में पंजीकृत न होने के कारण आज तक किसी को यह नहीं पता कि नारद का वाहन गधा है! (समाप्त)
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