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Old 25-01-2014, 09:36 PM   #6
rajnish manga
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Default Re: लोककथा संसार

चीनी लोककथा

बिल्ली का दर्पण



एक दिन जंगल में शेर ने एक बिल्ली पकड़ी।
वह उसे खाने की सोचने लगा।


बिल्ली ने पूछा, “तुम मुझे क्यों खाना चाहते हो?
शेर ने कहा, “इसलिए कि मैं बड़ा हूँ और तुम छोटी हो।”

बिल्ली ने आँखें मिचमिचाई और कहा, “नहीं, बड़ी तो मैं हूँ, तुम तो छोटे हो। तुम कैसे कहते हो कि तुम मुझसे बड़े हो?”

बिल्ली की बात सुनकर शेर उलझन में पड़ गया।

शेर ने मन ही मन कहा, “बात तो इसकी ठीक है। मैं कैसे जान सकता हूँ कि मैं कितना बड़ा हूँ?
बिल्ली ने कहा, “मेरे घर में एक दर्पण है, तुम दर्पण में अपने को देखोगे तो तुम्हें पता चल जाएगा।”


शेर ने अपने को दर्पण में कभी नहीं देखा था, वह ऐसा करने के लिए तुरंत तैयार हो गया।
बिल्ली का दर्पण बड़ा अजीब था। उसकी सतह तो उभरी हुई थी, पर पिछला भाग भीतर को धंसा हुआ था।


बिल्ली ने उभरा हुआ भाग शेर के सामने कर दिया।
शेर में दर्पण में देखा कि वह तो एक दुबली-पतली गिलहरी जितना लग रहा था।


बिल्ली ने कहा, “पता लग गया न! कितने बड़े हो? यह दर्पण तो असल से थोड़ा बड़ा ही दिखाता है। वास्तव में तो तुम इससे भी छोटे हो।
शेर डर गया। उसने सिर झुका लिया। बिल्ली ने चुपके से दर्पण घुमा दिया।


फिर बोली, “अब जरा तुम हटो और मुझे अपने को देखने दो।”


आँख चुराकर शेर ने भी चुपके से देखा। दर्पण में बिल्ली बड़ी व भयानक नज़र आ रही थी। बिल्ली का मुँह तो काफी बड़ा हो गया था।
वह कभी खुलता था, कभी बंद होता था और बड़ा डरावना लग रहा था।


शेर ने सोचा, बिल्ली उसे खाना चाहती है। मारे डर के वह जंगल में भाग गया।


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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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