Re: मुझे मत मारो :.........
[QUOTE=Dr.Shree Vijay;540336][size="3"][color="blue"]
प्रिय पुष्पा जी, आपने मुझसे अच्छा प्रश्न किया हें, मेरा स्वभाव और मेरी सोंच सदा ही सकारात्मक हैं,
आज तक मेरे जीवन में और फोरम में भी मैने कभी किसी के दिल को ठेस नहीं पहुचाई और ना ही किसी के लिये ओछे शओं का निवास होता हें " यही हमारी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता थी, आप इतिहास उठाके देख लीजिए जितना नाम यहाँ नारियों ने किया उतना तों शायद पुरुषों ने भी नहीं किया !
dr shree vijay ji धन्यवाद ... सबसे पहले आपको बताना चाहूंगी की मैंने आपके लिए एइसा नही कहा की आपने किसी के दिल को ठेस लगे वेइसी बातें कही है ... मेने आपके बहुत सारे सूत्र पढ़े हैं और जिससे मेरी नजर में आपका सम्मान बहुत है.. मैंने देखा है हर सूत्र में की आपने सूत्र के सकारात्मक भाव को ही अपनाया है जो की आपके स्वाभाव से पाठक को परिचित करता है.
रही बात मेरे प्रश्न की.. जिसके जवाब में आपने बताया की प्राचीन काल से हमारे यहाँ स्त्रियों का सम्मान होता आया है, तो आपको याद दिलाना चाहूंगी की जिन दिनों में स्त्री सम्मान की बातें होती थी, उन्हें मान दिया जाता था तब का लिखा है ये रामायण का दोहा ...ढोर गवांर शुद्र पशु नारी है ताडन के ये ... अधिकारी याने की पशुओ के साथ समानता की गई इस समाज में .. हर युग में एक समय एइसा आया है की महिलाओं को अपमान का सामना करना पड़ा है..
सत युग में सती, त्रेता में सीता , द्वापर युग में द्रौपदी और कलियुग में तो आज हजारो दामिनियाँ और कोमल कलियों को कितना कुछ सहना पड़ रहा है. आज के समय की छवि हमे रोज समाचार पत्र में टीवी में पढ़ने , देखने मिलती है
जी हाँ संतो और बाबाओ में फर्क है किन्तु संत श्री यदि सार गर्भित उदहारण देते हैं तो उन्हें समाज को समझाना जरुरी है की स्त्री पुरुष में भेद न रखकर बेटी को हीरा समझकर उसे डिब्बे में बंद करने की बजाय उसे आगे बढ़ने का मौका दें लोग समाज को ये समझाए की बेटे को सबसे पहले संस्कारी बनाये क्यूंकि संतों की वाणी समाज पर ज्यदा असर करती है .
डॉ श्री विजय जी फिर आपसे कहना चाहूंगी की आपसे मुझे कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नही ये तो जब बात बेटियों की, महिलाओं की बंदिश की आती हैउनके साथ होते भेदभाव की आती है और इस भेदभाव की वजह से किसी बेटी का ज्ञान किसी बेटी का टेलेंट धरा का धरा रह जाता है और इस भेदभाव की वजह से कोई बेटी अपना जीवन बर्बाद होते देखते रहती है कुछ नही कह सकती मन मसोस कर रह जाती है तब मन में दुःखी होता है की हमारे समाज में आखिर एइसा भेदभाव क्यों.. क्यूँ ???
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