01-07-2014, 10:18 PM
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#521
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by bindujain
झूट,सच,जीत, हार की बातें
छोडिये, दास्तान लम्बी है
बी. आर.'विप्लवी'
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हिकारत उसमे थी या थी मुहब्बत
नज़र तेरी मिरी जानिब उठी तो
सिखा मत मुझको रंगों-बू की पूजा
जवानी कल को तेरी ढल गयी तो
(जी.एस.भाटिया 'आरिफ़')
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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