Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by dr.shree vijay
तेरी यादों से खुद अपने दिल को बहला लेते हैं,
हर शाम को हम तेरे नाम का जाम उठा लेते हैं........
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है राम के वजूद पे......हिन्दोस्तां को नाज़
अहले नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द
(अल्लामा इक़बाल)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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