Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by dr.shree vijay
दिल गया था तो, ये आँखें भी कोई ले जाता,
मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ.........
- अहमद नदीम कासमी
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खूबियां पूछता है क्यों मेरी
कुछ बुरा और कुछ भला हूँ मैं
अपनी सूरत कभी नहीं देखी
लोग कहते हैं आइना हूँ मैं
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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